सहायता उपलब्ध है आत्मक्षति

Self-harm

इस प्रचार पत्रिका का विषय

   यह प्रचार पत्रिका आत्मक्षति से सम्बन्धित पूर्ण जानकारी देती है । यदि आप आत्मक्षति कर रहे  हैं  या सोच रहे हैं अथवा आपके परिवार का कोई सदस्य या मित्र आत्मक्षति करते हैं तो यह जानकारी उपयोगी हो सकती है।

आत्मक्षति क्या है?

     अपनी  इच्छा से अपने ही शरीर  को क्षति पहुँचाने को आत्मक्षति कहते है। आत्मक्षति कई प्रकार से हो सकती है उदाहरण के तौर पर :

  • अत्यधिक मात्रा मे दवाइयों का प्रयोग
  • किसी तेज धार की वस्तु जैसे की चाकू या ब्लेड से खुद को काटना
  • जलाकर शारीरिक क्षति पहुँचाना
  • अन्य प्रकार से शारीरिक क्षति जैसे की –सर पटक कर,
  • घूसे मारकर
  • तेज धार की वस्तु को शरीर मे घुसाकर या किसी न खाने योग्य वस्तु को खा लेना

अकसर यह मानना  है कि आत्मक्षति जानबूझकर  कर सामान्य मानसिक स्थिति मे की जाती है । वास्तविकता यह है कि आत्मक्षति के समय वह व्यक्ति अत्यधिक मानसिक तनाव, आन्तरिक असन्तुलन या अत्यधिक भावनात्मक स्थिति मे होने के कारण आत्मक्षति करते है । कुछ लोग आत्मक्षति की योजना बनाते है  व अन्य अचानक आत्मक्षति कर लेते है । कुछ लोग एक आधबार आत्मक्षति करते है तथा कुछ निरन्तर आत्मक्षति करते  रहते है ।

          कई प्रकार की आत्मक्षति जैसे अत्यधिक दवाओं का प्रयोग, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, अत्यधिक शराब का सेवन, अपने स्वास्थ्य य जीवन की परवाह किये बिना या लगातार भूखे रहना भी आत्मक्षति के लक्षण है ।

आत्मक्षति के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले दूसरे शब्द

    आत्मक्षति को दर्शाने हेतु दूसरे शब्द जैसे कि डेलीबरेट सेल्फ हार्म- मे ‘डेलीबरेट’ शब्द इस व्यक्ति को  दोषी दर्शाता है ।

 स्युईसाइड / पेरा स्युईसाइड – अधिकतर आत्मक्षति करने वाले व्यक्ति आत्महत्या नही करना चाहते।

      इन शब्दों का प्रयोग अब कम होता जा रहा है ।

आत्मक्षति कौन करता है

  1. आत्मक्षति किसी भी उम्र मे हो सकती है परन्तु दस मे से एक युवा किसी एक वक्त मे आत्मक्षति कर सकते है ।
  2. नवयुवतियां नवयुवक की अपेक्षा ज्यादातर आत्मक्षति करती है ।
  3.  समलैंगिक  तथा द्विलैंगिक व्यक्ति आत्मक्षति के शिकार है ।
  4.  सामुदायिक आत्मक्षति भी पाया गया है तथा आत्मक्षति की संभावना अधिक हो जाती है यदि कोई मित्र आत्मक्षति करता है ।
  5.  कुछ एक संस्कृतियों जैसे कि ‘गोधस’ मे आत्मक्षति की सम्भावना ज्यादा पाई गई है।
  6.  बाल्य अवस्था मे हुए शारीरिक, मानसिक और लैंगिक शोषण भी आत्मक्षति का एक करण है।

वैज्ञानिक अनुसन्धान आत्मक्षति को कम आकता है तथा अवलोकन के अनुसार आत्मक्षति स्कूलों तथा अस्पतालों मे अत्यधिक पाया जाता है । खुद को काट कर क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति यह व्यवहार गोपनीय रखते है । लगभग 4000 मरीजो की जांच के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत मरीजो ने अत्यधिक दवायें खाकर तथा 15 प्रतिशत ने स्वत: काटकर आत्मक्षति पहुँचाई। सामुदायिक सांख्यिकी के अनुसार यह अनुपात विपरीत पाया गया है।

आत्मक्षति के क्या कारण है

भावुक व्यथा – अधिकांश व्यक्ति आत्मक्षति करने से पहले मानसिक व्यथा का सामना करते है । उदाहरण के तौर पर :

  • शारीरिक व लैंगिक शोषण
  • निरन्तर उदासीनता
  • आत्मग्लानि अथवा अपने आप को बुरा समझना
  • पारिवारिक, अथवा आपसी संम्बधों मे कठिनाई

यदि आप महसूस करते है कि

  •  दूसरे व्यक्ति आपकी अवहेलना करते है
  •  असमर्थ या असहाय
  •  अकेलापन
  •  बेबस महसूस करना – जैसे कि आप कोई परिवर्तन नही ला सकते

शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन – ऐसा प्रतीत होना कि इनका सेवन भी जिन्दगी की तरह आपके बस से नही है। 

यह गलत – धारणा है कि आत्मक्षति करने वाले परेशानी से ,बदला लेने या द्ण्ड देने का दिखावा करते है । परन्तु अधिकतम व्यक्ति गुप्त रूप से दुख भोगते है और अप्रत्यक्ष मे आत्मक्षति करते है ।

आत्मक्षति से आप कैसा महसूस करते है?

आत्मक्षति से तनाव व परेशानी के कारण उत्पन्न हुई असुखद अनुभव कम होता है । अपने आपको दुख पहुँचाकर आप अपनी आत्मग्लानि को कम करते का प्रयत्न करते है। आत्मक्षति, हर प्रकार से बुरी भावनाओं तथा तनाव के तुरन्त समाधान का एक जरिया बन जाता है ।

क्या आत्मक्षति करने वाले मानसिक रोगी होते हैं?

   अधिकांशतः आत्मक्षति करने वाले व्यक्ति मानसिक रोगी नही होते  परन्तु कुछ लोग उदासीनता, स्वाभाविक व्यक्तित्व मे कमी या नशीले पदार्थ के आदि होते है । सभी व्यक्तियों को मदद की आवश्यकता है। तथा आत्महत्या का खतरा आत्मक्षति से बढ़ जाता है।

सहायता कैसे पाये?

अधिकतर आत्मक्षति करने वाले  व्यक्ति  सहायता  नही माँगते । गम्भीर समस्या जानकर भी वे इस समस्या की चर्चा या सुझाव नही लेते  । यानि कि इस समस्या के लिये अपने परिवारजन, मित्र या जानकारों की सलाह नही लेते । नवयुवक इस समस्या को गम्भीर नही समझते बल्कि इसे अपनी समस्या का समाधान समझते हैं और समस्या अपनी जगह वैसी ही रहती है ।

   अस्पताल मे जाने पर लगभग आधे से कम आत्मक्षति से शिकार व्यक्तियों को विशेषज्ञों की मदद मिलती है । परन्तु  नवयुवकों को सम्भवतः विशेषज्ञों को मदद नही मिलती यदि वे स्वत: काटने  या  ज्यादा दवाओं के  प्रयोग के कारण अस्पताल जाते है।

खतरों के लक्षण क्या है ?

गम्भीर रूप से आत्मक्षति करने वालो के निम्न लक्षण है :-

  •  गम्भीर रूप से आत्मक्षति
  •  लगातार व बार-बार आत्मक्षति
  •  अकेलापन व समाज से असंपर्क
  •  मनोरोग ग्रसित

इन व्यक्तियों की जांच अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा होनी चाहिये ।

कैसी सहायता उपलब्ध है?

किसी साधारण व्यक्ति से परामर्श

   अपनी मनोस्थिति के बारे में अन्य व्यक्तियों से परामर्श सहायक हो सकता है। ऐसा परामर्श आपको  विवेकपूर्ण  निर्णय लेने तथा अपनी समस्या मे किसी अन्य व्यक्ति को शरीक करने मे मदद कर सकता है । ऐसी सुविधा टेलिफोन या इन्टरनेट के द्वारा उपलब्ध है  (कुछ टेलिफोन नम्बरों की जानकारी इस प्रचार पत्रिका के अन्त में उपलब्ध है)

स्वत: सहायता समुदाय (सैल्र्फ हैल्प ग्रूप )(Self Help Group)

     व्यवहारिक मानसिक व भावनात्मक सहायता इस प्रकार के समुदायों में उपलब्ध होती हैं । अपनी समस्याओं का आपस में विचार विमर्श करने से आप अकेले नही महसूस करते।

आपसी सम्बन्धों में सुधार

           यदि आपसी सम्बन्धों मे कटुता या समस्या आत्मक्षति का कारण है तो सम्बन्धों मे सुधार के लिये  परामर्श आवयश्क  है।

विशेषज्ञों से मदद

         आत्मक्षति के लिये निम्नलिखित प्रकार की मनोचिकित्सा उपलब्ध है –

  • प्रोब्लम  सोल्विन्ग थरेपी     (Problem Solving Therapy)
  • कोगनीटिव साइको थरेपी     (Cognitive Therapy)
  • साइकोडायनामिक साइको थरेपी (Psychodynamic Therapy) 
  • कोगनीटिव बिहेवियर थरेपी  (Cognitive Behavioural Therapy)

पारिवारिक सभाएँ

जहां आवश्यकता हो वहां विशेषज्ञों से पारिवारिक सम्पर्क व परामर्श भी सहायक हो सकता है।

सामूहिक चिकित्सा

ऐसी चिकित्सा में एक विशेषज्ञ पूरे समूह के नेतृत्व करते हुए विभिन्न सदस्यों को सलाह व उनकी समस्याओं का समाधान करता है।

कौन सा उपचार सर्वोत्तम है ?

आत्मक्षति के लिये ये कहना कठिन है कि कौन सा उपचार अत्यधिक सहायक है। परन्तु जितना भी प्रमाण उपलब्ध है, समस्या सुलझाने सम्बन्धी उपचार अत्यधिक मददगार साबित है।

यदि सहायता उपलब्ध न हो?

  • लगभग तीन मे से एक व्यक्ति जोकि पहली बार आत्मक्षति करते हैं वे एक वर्ष के अन्तराल में दोबारा भी  क्षति कर सकते है।
  • निरन्तर आत्मक्षति करने वाले सौ व्यक्तियों मे लगभग तीन व्यक्ति पन्द्रह वर्ष के अन्तराल मे आत्महत्या कर लेते है। यह समस्या सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा पचास गुना है। पुरुषों तथा बढ़ती उम्र मे आत्महत्या की संभावना बढ़ जाती है।
  • अपने आप को काटकर क्षति पहुंचाने से उँगलियों मे सुन्नता , कमजोरी अथवा लकवा  व त्वचा मे स्थाई दाग पड़ सकते है।

आप अपनी मदद कैसे कर सकते हैं?

यदि आप आत्मक्षति करना चाहते है

  आत्मक्षति की इच्छा कुछ समय बाद स्वत: समाप्त हो जाती है। यदि आप अपनी दुखद भावनाओं को सहन कर सकें तो कुछ समय बाद आत्मक्षति की इच्छा कम हो जाती है। इस दौरान आप :

  • किसी चिरपरिचित से फोन पर बात कर सकते है।
  • यदि आपके साथ उपस्थित व्यक्ति से आपकी समस्या बढ़ रही है तो , तुरन्त वह स्थान छोड़ दे।
  • अपना ध्यान बढ़ाने के लिए बाहर जाये, संगीत सुने या गाना गायें अथवा ऐसे कार्य ने समय बिताए जिसमे आपकी रुचि है।
  • शांत होकर एकाग्रता से अपने मन को किसी ऐसे समय या स्थिति का संस्मरण करे जो सुखदायी हो।
  •  अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के अन्य उपाय सोचिये - उदाहरण के तौर पर बर्फ के टुकड़ो को निचोड़िये (बर्फ के टुकड़ो को लाल जूस मे मिलाकर यदि रक्त का रंग जरुरी है) या सिर्फ़ लाल पेन से अपनी त्वचा पर लाइनें खींचकर।
  • अपने आपको कोई ऐसा दर्द जैसे मिर्च खाना या ठंडे पानी से नहाना जैसे कार्य से ध्यान बटायें।
  • मन को सार्थक व सकारात्मक कार्यों में लगाए।
  • अपना ख्याल रखें-शारीरिक मालिश लाभकारी है।
  •  अपनी भावनाओं को गौपनीय़ डायरी या पत्र द्वारा अन्त करे /

यदि आप आत्मक्षति की इच्छा नही रखते

जब आप अपने आपको आत्मक्षति से सुरक्षित महसूस करते है तो उस क्षण को याद करे जो विधि आपको आत्मक्षति से रोकने मे मददगार थी।

  • ध्यान रखे वो क्षण जब आप आत्मक्षति नही करना चाहते थे और आगे कि स्थिति को याद करे।
  • आप किसके साथ थे? और आप की मनोस्थिति क्या थी?
  • आप मे आत्मक्षति की इच्छा कैसे प्रारम्भ हुई?
  • क्या आत्मक्षति ने आपको अपनी समस्याओं से मुक्ति दिलाई, आराम दिया या उस अवस्था मे पूरा नियंत्रण प्रदान किया? सोचिये ऐस कौन सा व्यवहार जोकि ये सब कर दे परन्तु आत्मक्षति नही?
  • अन्य व्यक्तियों की प्रतिक्रिया क्या थी?
  • आपने अपने आप की भावनाओं का सामना कैसे किया?
  • क्या आप उस समय कुछ अलग कर सकते थे?
  • अपने विचारो को रिकार्ड करे। अपने अच्छे गुणों व व्यवहार तथा आप आत्मक्षति न करने के कारणों का बयान करे। किसी अपने विश्वसनीय की सहायता से ऐसा रिकार्ड बना ले। उस अवस्था मे जब आप ठीक नही महसूस कर रहे। इस रिकार्ड को सुने और अपने आपको याद दिलाए कि आप कितने अच्छे व उपयोगी व्यक्ति हैं।
  • ऐसे वक्त के लिये कुछ ऐसी योजनाएं बनाए कि आप किसी व्यक्ति से परामर्श कर सकें। कोई व्यक्ति जिससे आप तुरन्त सम्पर्क स्थापित कर सके। आपको आत्मक्षति की इच्छा को वश मे करने मे मदद कर सकता है।

यदि आप आत्मक्षति में मदद नही चाहते?

यदि आप आत्मक्षति को न छोड़ने का निर्णय ले चुके हैं फिर भी आप:

  • अपने शारीरिक क्षति को कम करे(उदाहरण के तौर पर साफ ब्लेडों का प्रयोग)
  • जो परिस्थितियाँ आपको आत्मक्षति के लिये उकसाती है उनके समाधान के लिये सोचे।
  • आत्मक्षति के लिए मदद न लेने के निर्णय पर पुन: विचार करे।

आत्मक्षति शारीरिक व मानसिक क्षति पहुँचाता है- अंत मे इसको रोकने मे ही लाभ है।

     यदि आप आत्मक्षति रोकना चाहते है तो निम्नलिखित प्रश्नों क जवाब दे। यदि आपके आधे से ज्यादा प्रश्नों का उत्तर हां है तो आप आत्मक्षति रोकने का प्रयास कर सकते है।

  • क्या कोई दो व्यक्ति मुझे मदद देने को तैयार हैं?
  • क्या कोई मित्र से मैं सहायता ले सकता हूं जो कि मेरी आत्मक्षति के बारे मे जानता हो?
  • क्या मैं कोई दो विकल्प जानता हूं जो मेरी आत्मक्षति की भावनाओं को कम कर सकता है?
  • क्या मुझे पूरा विश्वास व यकीन है कि मैं आत्मक्षति रोकना चाहता हूं?
  • क्या मैं जानता हूं कि मैं किसी भी प्रकार का मानसिक कष्ट, पीड़ा या डर सहन करुंगा?
  • यदि आवश्यकता पड़े तो क्या कोई विशेषज्ञ मेरी सहायता को उपलब्ध है?

यदि मैं आत्मक्षति करू और मुझे इलाज की आवश्यकता हो?

यह आपका अधिकार है कि चिकित्सक व नर्सें आकस्मिक विभाग मे इज़्ज़त व सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें। सभी आकस्मिक विभागों मे लियेसोन नर्स या मानसिक समाजसेवी कार्यकर्ता मदद के लिये होते है जो आपको आपकी मानसिक व्यथा , समस्या या भावनाओं मे मदद कर सकते है। वे आपकी जरूरतों का आकलन कर सकते है। इस विभाग का सदस्य आपकी समस्या व उसके सभी खतरों का एक प्रश्नावली के द्वारा भी आंकलन कर सकता है।

आप किसी आत्मक्षति करने वाले की कैसे मदद कर सकते हैं ?

किसी आत्मक्षति कर रहे व्यक्ति का साथ होना बहुत कष्टदायी होता है- आप उसकी फिर भी मदद कर सकते हैं। बिना आलोचना या विभेद किये उनकी समस्याओं को सुने। यह आवश्यक है कि आप उस व्यक्ति के व्यवहार से न तो गुस्सा करें न ही परेशान हो। उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें न कि अपनी भावनाओं को – यह थोड़ा मुश्किल अवश्य है।

आप क्या करें

  • उस समय जब वे आत्मक्षति की सोच रहे हो, उनसे बात करें। उनका ध्यान बटाने का प्रयास करें।
  • आप इन्टरनेट या लाइब्रेरी का उपयोग अपनी जानकारी बढ़ाने के लिये करें।
  • आप उनके साथ जाकर ऐसे व्यक्ति से मिलें जो उनकी सहायता कर सकता है।
  • आप उन्हें ये समझाने का प्रयास करें कि आत्म क्षति शर्मनाक या निन्दनीय नही है अथवा ये एक समस्या है जिसका निवारण आवश्यक है।

आप क्या न करें

  • आप उनके चिकित्सक बने- चिकित्सा बहुत ही कठिन व पेचीदा प्रकिया है। एक मित्र सहयोगी या परिवार जन होने के कारण वैसे ही आपको इन व्यक्तियों से जूझने के लिये अनेक समस्याएं हैं।
  • यह उम्मीद करें कि उनका व्यवहार रात भर में ठीक हो जायेगा- यह समस्या सुलझने मे समय लेगी।
  • अपने व्यवहार को कठोर व उत्तेजक  बनाये- ऐसा करने से उनकी समस्या बढ सकती है। जैसा भी आप महसूस करते है उन्हे शान्ति से समझाएं- ऐसा करने से उन्हे प्रतीत होगा कि आपको उनकी कितनी परवाह है।
  • आत्मक्षति के समय जूझें- बेहतर है कि आप वहां से चले जाये और उनसे अपेक्षा करे कि वो आपके पास आकर बात करें।
  • आप उनसे ऐसा न करने कि कसम  लें। आप ऐसा समझौता करे कि आप उनसे तब बात करेंगे जब वो आत्मक्षति नही करेंगे।
  • अपने आप को दोषी  समझे या ऐसा कि आप उनको आत्मक्षति से रोक सकते है। अपना भी खयाल रखे तथा अपने सहारे के लिये किसी से मदद ले। 

For a list of references and further reading visit the English version of this page.

The original page was produced by the RCPsych Public Education Editorial Board.

Series Editor: Dr Philip Timms

With grateful thanks to Dr. Tushar Upadhye, Dr. Bharat Saluja and Dr. Prateek Verma for translating this information into Hindi.

  • Original page updated: Jan 2007
  • Date of translation: May 2007

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