मनोभ्रंश
Dementia: key facts
हम सभी जैसे-जैसे वृद्ध होते जाते हैं हमारी भूलने की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है, लेकिन मनोभ्रंश एक रोग है। यह एक मस्तिष्क का रोग है जो प्रायः याद्दाश्त की समस्याओं के साथ शुरू होता है। बाद में यह मस्तिष्क के अन्य भागों को प्रभावित करने लगता है जिसके फलस्वरूप निम्न प्रकार की समस्यायें आती हैं-
- रोजमर्रा के कामों में कठिनाई
- संवाद में कठिनाई
- मनोदशा, निर्णय लेने की क्षमता या व्यक्तित्व में बदलाव
आमतौर पर समय के साथ यह बीमारी बढ़ती है। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, आप अन्य लोगों पर ज्यादा निर्भर होने लगते हैं। यह समस्या वृद्ध लोगों में ज्यादा होती है। हालांकि 40 वर्ष की आयु में भी इसकी शुरूआत हो सकती है। 65 वर्ष की उम्र तक, हर बीस में से एक व्यक्ति को एवं 80 वर्ष की उम्र तक हर पांच में से एक व्यक्ति को मनोभ्रंश हो सकता है।
मनोभ्रंश क्यों होता है?
अल्जाइमर रोग इसका सबसे प्रमुख कारण है। क्षतिग्रस्त ऊतक मस्तिष्क में प्लाज्मा या टैंगल्स के रूप में जमा हो जाता है, जिसकी वजह से मस्तिष्क के आसपास की कोशिकाएं मृत हो जाती हैं।
अल्जाइमर मस्तिष्क के रसायनों विशेषतया ऐसिटाइल कोलिन इत्यादि को प्रभावित करता है। ये रसायन एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संदेश पहुंचाते हैं। यह बीमारी धीरे-धीरे पैदा होती है और कुछ वर्षों में पूरा प्रभाव दिखाती है। कुछ परिवारों में यह बीमारी आनुवांशिक होती है एवं डाउन सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्तियों को ज्यादा होती है।
अल्जाइमर रोग स्मृति एवं सोच में समस्या पैदा करता है। फलस्वरूप नई जानकारियों को याद करने अथवा सीखने में कठिनाई होती है। पीड़ित व्यक्ति को हाल के घटनाक्रम, नियोजित भेंट एवं फोन के संदेश याद करने में समस्या होती है।
पीड़ित व्यक्ति को लोगों के नाम व स्थानों को याद रखने में कठिनाई होती है और प्रायः वे भूल जाते हैं। यहां तक कि ऐसे व्यक्तियों को दूसरों के साथ बातचीत करने व समझने में कठिनाई होती है। प्रायः किसी व्यक्ति या वस्तु के लिये जिसे बहुत अच्छी तरह जानते हों सही शब्द नहीं ढूढ पाते हैं। इस कारणवश वे काफी निराश एवं उदास हो जाते हैं। ये दूसरे लोगों पर सामान लेने का आरोप लगाते हैं जबकि वास्तविकता में ये लोग अपनी भूलने की बीमारी के कारण वो सामान कहीं खो चुके होते हैं।
कई बार मनोभ्रंश से ग्रसित व्यक्तियों को अपने अंदर कोई समस्या महसूस नहीं होती और जब अन्य लोग उनकी सहायता करते हैं तो वे क्रोधित हो जाते हैं। परिवारजन अक्सर ये शिकायत करते हैं कि अल्जाइमर ने रोगी के व्यक्तित्व को बदल दिया है जिस कारण अब व्यक्ति उस तरह से व्यवहार नहीं कर रहा है जिस तरह से वे रोग होने से पूर्व किया करते थे।
रूधिर वाहिका जनित मनोभ्रंश(वैस्कुलर डिमेंशिया)
इस रोग में मस्तिष्क को रक्त ले जाने वाली धमनियां अवरूद्ध हो जाती हैं फलस्वरूप मस्तिष्क का कुछ भाग आक्सीजन (प्राण वायु) की कमी के कारण मृत हो जाता है। इस प्रक्रिया को ”सूक्ष्म पक्षाघात“ (स्माल स्ट्रोक) भी कहते हैं। इस रोग के होने की आशंका उन लोगों में ज्यादा होती है जो कि धूम्रपान करते हैं अथवा उच्च रक्तचाप, मधुमेह या उच्च कोलेस्ट्रोल संबंधी शिकायत होती है। इस रोग की गति का अनुमान लगाना कठिन कार्य है। यह कई महीनों या वर्षों तक स्थिर भी रह सकता है और जब भी नये रूधिर वाहिका जनित वैस्कुलर स्ट्रोक्स होते हैं तो यह रोग त्वरित गति से गंभीर हो जाता है।
इस रोग के लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क का कौन सा भाग रोग से प्रभावित हुआ है। इस आधार पर कमजोर याद्दाश्त (स्मृति क्षरण), ध्यान में कमी, उचित शब्द के प्रयोग में समस्या, भावनात्मक अस्थिरता या उदासी की समस्या भी हो सकती है। कुछ लोगों में मतिभ्रम (वह दिखाई या सुनाई देना जो वास्तविकता में नही है) भी हो सकता है। शारीरिक लक्षण जैसे चलने में समस्या या अनैच्छिक मूत्रास्त्राव भी हो सकते हैं।
लेवी बाडी मनोभ्रंश
लेवी बाडी मनोभ्रंश से पीड़ित व्यक्तियों के लक्षण अल्जाइमर एवं पार्किंसन रोग से मिलते जुलते होते हैं। इन रोगियों मे व्यक्तियों या जानवरों से संबंधित दृष्टि मतिभ्रम अधिक होता है एवं भ्रम का स्तर पूरे दिन भर में घटता या बढ़ता रह सकता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कंपन, मांसपेशियों में अकड़न, गिरने या चलने में कठिनाई की अनुभूति कर सकते हैं।
फ्रंटो टेम्पोरल मनोभ्रंश
यदि मनोभ्रंश मस्तिष्क के अन्य भागों की तुलना में अग्रभाग को अधिक प्रभावित करता है तब व्यक्ति के व्यक्तित्व में काफी बदलाव आता है तथा यह याद्दाश्त संबंधी समस्यायें उत्पन्न कर सकता है।
मनोभ्रंश के अन्य कारणः-
अन्य कई बीमारियां याद्दाश्त संबंधी समस्याओं को उत्पन्न कर सकती हैं। अवसाद एक मनोभ्रंश जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है जो एंटी डिप्रेसेन्ट्स तथा बातचीत के माध्यम से बेहतर हो सकता है।
निम्न शारीरिक बीमारियों में स्मृति संबंधी समस्यायें उत्पन्न हो सकती हैं-
- गुर्दे, जिगर या थायराइड की समस्या
- विटामिन्स की कमी
- छाती एवं मूत्र वाहिका संक्रमण के कारण भ्रम हो सकता है। जिसको एंटीबायोटिक्स की सहायता से सुधारा जा सकता है।
युवा लोगों में ”हटिंग्टन“ रोग के कारण मनोभ्रंश हो सकता है।
माइल्ड काग्निटिव इम्पेयरमेंट क्या है?
जैसे-जैसे लोग वृद्ध होते जाते हैं कई लोग अपनी याद्दाश्त के बारे में चिंतित रहने लगते हैं लेकिन यदि यह समस्या आयु के अपेक्षा से अधिक तो है लेकिन मनोभ्रंश के स्तर, तक नहीं पहुंची है तो हम इसे ”माइल्ड काग्निटिव इम्पेयरमेंट“ कहते हैं। इस समस्या से ग्रसित हर बीस व्यक्तियों में एक व्यक्ति को मनोभ्रंश की समस्या हो सकती है लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि ऐसे कौन से मनुष्य होंगे जो इस बीमारी से ग्रसित हो जायेंगे।
यदि आप अपनी याद्दाश्त से चिंतित हैं तो आप चिकित्सक से संपर्क करें। वह कुछ याद्दाश्त के सरल परीक्षण, शारीरिक परीक्षण एवं रक्त जांच कर सकता है, इसके बाद आपको किसी विशेषज्ञ टीम या मेमोरी क्लीनिक भेजा जा सकता है जो कि आपकी याद्दाश्त का गहनता से परीक्षण करके आवश्यकतानुसार मस्तिष्क की जांच के लिए ब्रेन स्कैन करवा सकते हैं।
याद्दाश्त संबंधी समस्याओं में सहायता के लिए कुछ सरल व्यवहारिक सलाह:-
- अपनी नियोजित भेंट (अपाइंटमेंट) एवं सूचीबद्ध कार्यों को याद रखने के लिए डायरी का उपयोग करें।
- अपने मस्तिष्क को विभिन्न कार्यों द्वारा क्रियाशील रखें जैस पढ़ना, पहेलियां हल करना, सुडोकू भरना अथवा इसी प्रकार के अन्य कार्य करें।
- अपनी सेहत एवं आयु के अनुसार नियमित रूप से व्यायाम करें।
- पोषक भोजन करें।
चिकित्सा:-
मनोभ्रंश की चिकित्सा, रोग की सही पहचान एवं अन्य कई परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। दुर्भाग्य से मनोभ्रंश करने वाले अधिकांश रोगों का कोई निश्चित इलाज अभी तक नही है।
ऐसिटाइल कोलिनएस्टरेज इनहिबिटर दवाओं का एक समूह है जिसको लेने से अल्जाइमर मनोभ्रंश की तीव्रता कम हो जाती है। यदि मतिभ्रम की समस्या हो तो यह दवाएं लेवी बाडी मनोभ्रंश में भी मदद करती हैं। वैस्कुलर मनोभ्रंश में थोड़ी मात्रा में एस्पिरीन आगे पक्षाघात को रोकने में मदद कर सकती है तथा अन्य दवायें उच्च रक्तचाप तथा बढ़ते कोलेस्ट्रोल को रोकने में सहायता करती है। धूम्रपान न करना, स्वास्थ्यवर्धक आहार लेना तथा नियमित रूप से व्यायाम करना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
भविष्य की योजना:-
अपनी किसी भी चिंता अथवा समस्या के लिए अपने चिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य नर्स अथवा सामाजिक कार्यकर्ता के साथ चर्चा करें। चैरिटी संस्था जैसे ”अल्जाइमर्स सोसाइटी” भी परामर्श के लिए एक बहुत उपयोगी स्त्रोत है। एक मानसिक स्वास्थ्य नर्स इस बीमारी को समझने में अत्यधिक मदद कर सकती है। वे दवा और अन्य सहायताओं, जो उपलब्ध हैं उनके बारे में आपको अवगत करा सकती है। अन्य सामाजिक संस्थायें घर की सेवाओं में मदद कर सकती हैं जैसे घर पर भोजन या दिन में देखभाल। आप विभिन्न योजनाओं द्वारा लाभान्वित हो सकते हैं।
आप एक पावर आफ अटार्नी (मुख्तारी अधिभार) भी बना सकते हो जिसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति जिस पर आप भरोसा रखते हैं, वह आपके सभी मामलों की देखभाल कर सकता है यदि आप ऐसा करने में असमर्थ हैं।